Save Marine: जानें पिता-बेटी की इस जोड़ी ने उठाया है समुद्र को साफ करने का जिम्मेदारी!

Save Marine: ये कहानी है स्वच्छ भारत अभियान के दो ब्रांड एंबेसडर की जो पिता-बेटी की जोड़ी हैं। उनकी इस सकारात्मक पहल (Positive Initiative) से आज समुद्र से लाखों (Save Marine) टन कचरा साफ होने की दिशा में काम चल रहा है। स्वच्छता के ये ब्रांड एंबेसडर न सिर्फ खुद कचरा साफ कर रहे हैं बल्कि दूसरों को भी समुद्र बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 

ये कहानी है तमिलनाडु की रहने वाली थारागई और उनके पिता अरविंद जिन्होंने जिम्मा उठाया है समुद्र को बचाने की (Save Marine). उनकी कोशिशों से आज समुद्र को साफ करने और समुद्री जीवन को बेहतर बनाने के रास्ते खुल रहे हैं। थारागई और उनके पिता के दिन की शुरूआत ही समुद्र की सफाई (Save Marine) करते हुए होती है। ये जोड़ी रोजाना समुद्र की सफाई करते हुए अपना दिन बिताते हैं। ये लोग खुद तो सफाई में लगे हैं साथ ही कई लोगों को खुद के साथ जोड़ते हैं। समुद्र को साफ (Save Marine) करना इन दोनों की जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा और प्रण दोनों है। इनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए किसी प्रेरणा (Positive Initiative) से कम नहीं जो पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करना चाहते हैं। 

समुद्र को करीब से जानते हैं अरविंद 

इस सकारात्मक पहल (Positive Initiative) की शुरूआत करने वाले अरविंद पेशे से स्कूबा ड्राइविंग ट्रेनर के तौर पर काम करते हैं। वे पिछले 20 सालों से समुद्र की सफाई (Save Marine) कर रहे हैं। अरविंद ने समुद्र से अब तक 30 हजार किलोग्राम प्लास्टिक कचरा साफ (Save Marine) किया है। एक वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में अरविंद कहते हैं कि वे बचपन से ही समुद्र में तैरते-खेलते बड़े हुए हैं यही वजह है कि उन्हें (Save Marine) समुद्र की सफाई के बारे जागरूक करने का ख्याल आया। स्कूबा ड्राइविंग सीखने के दौरान भी उन्होंने काफी वक्त समंदर में ही बिताया है ये उन्हें उनका घर (Save Marine) लगता है। उन्हें कई सालों में ये अहसास हुआ कि घूमने और छुट्टियां मनाने समुद्र किनारे आने वाले लोग इसकी सफाई को लेकर जागरूक नहीं हैं इसलिए उन्होंने इस साकारात्मक सोच (Positive Initiative) की शुरूआत की।  

बेटी भी देती है स्वच्छता मिशन में साथ 

अरविंद ने अपने इस खास मिशन (Positive Initiative) में अपनी बेटी को भी साथ ले लिया है। उनकी 9 साल की बेटी थारागई समुद्र के महत्व को छोटी सी उम्र में समझने लगी है। पिता का साथ देते हुए वो भी समुद्र की सफाई (Save Marine) में लगी है। वो अपनी बेटी को समुद्री प्रदूषण को कम करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं। थारागई जब 5 साल की थी तब उसे अपने पिता से ही स्कूबा डाइविंग सीखने की प्रेरणा दी गई। थारागई ने अब तक 1 हजार किलोग्राम से ज्यादा प्लास्टिक कचरा समुद्र से बाहर निकाल चुकी हैं। थारागाई इतनी छोटी सी उम्र से अपने स्कूल के दोस्तों को समुद्र की सफाई (Save Marine) और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने का काम करती हैं। 

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करना उनका मिशन 

अरविंद अपनी बेटी के साथ मिलकर एक बेहतरीन काम (Positive Initiative) कर रहे हैं। वे अपनी आने वाली पीढ़ी को जागरूक कर रहे हैं ताकी समुद्र को सुरक्षित रखा जा सके। वो अपनी बेटी को प्लास्टिक प्रदूषण को घटाने और समुद्री जीवन (Save Marine) को बचाने के लिए तैयार करने का काम कर रहे हैं। इतनी कम उम्र में थारागई ने पिता के साथ समुद्री जीवन को संरक्षित करने की जिम्मेदारी निभा रही हैं तो बड़े तो जिम्मेदार हो ही सकते हैं। 

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Rishita Diwan

Content Writer

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