Ecotourism के लिए शानदार हैं भारत की ये जगहें, एक्सप्लोर करने के साथ और भी हैं बहुत कुछ!

Ecotourism, ये आजकल काफी ट्रेंड पर है। लोग प्रकृति के करीब होने के लिए भी घूमते हैं। इन घूमने वाले लोगों में तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सायकल या पैदल भी घूमने निकल जाते हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए पर्यावरण स्वच्छता टूरिज्म (environmental cleanliness tourism) करने भी निकल जाते हैं। ऐसे लोग पर्यटन क्षेत्रों की साफ-सफाई करते हैं। इसके दूसरे पहलू की तरफ देखें तो पर्यावरण-पर्यटन इंडस्ट्री सबसे तेजी से बढ़ने वाले इंडस्ट्री के रूप में देखा गया है। वैश्विक स्तर पर बात करें तो कोस्टा रिका और बेलिज जैसे देशों में ये फॉरेन करेंसी अर्जित करने का सबसे बड़ा स्रोत है। 

दुनिया में आज पर्यावरण प्रदूषण समूचे विकासशील ट्रॉपिकल रीजन्स में सुरक्षा की दृष्टि से काफी अहम हो गया है। लेकिन पर्यावरण-पर्यटन भी इस महत्त्वपूर्ण सन्तुलन का एक पक्ष है। प्लान्ड पर्यावरण-पर्यटन से संरक्षित क्षेत्रों और उनके आस-पास रहने वाले कम्यूनिटी को लाभ पहुँचाया जा सकता है। सामान्य शब्दों में पर्यावरण-पर्यटन या इको टूरिज्म का मीनिंग ही पर्यटन और प्रकृति संरक्षण है। तो आप, हम हर कोई इकोटूरिज्म को बढ़ावा देकर धरती को सुरक्षा का एक आवरण दे सकते हैं। इस लेख के जरिए जानते हैं भारत में कौन से ऐसे क्षेत्र हैं जो इकोटूरिज्म के लिए शानदार डेस्टिनेशन हो सकते हैं…

तनमाला इकोटूरिज्म

तिरुवनंतपुरम से लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तनमाला भारत का पहला प्लान्ड इकोटूरिज्म स्पॉट है। यह सुंदर पश्चिमी घाटों और शेन्दुरुनी वन्यजीव अभयारण्य के सुन्दर जंगलों से घिरा है। तनमाला जैव-विविधता के लिए प्रसिद्ध है। ये ‘हनी हिल्स’, तम्माला के नाम से भी जाना जाता है। 

अजंता अलोरा

महाराष्ट्र में स्थित अंजता और एलोरा की गुफाएं मनुष्य की उत्तपत्ति को जानने के लिए सबसे अच्छा स्थल है। ये प्राचीन पर्यावरणीय पर्यटन का स्थलों में से एक है। सांस्कृतिक, वास्तु और धार्मिक इतिहास को जानने के लिए ये बिल्कुल सही जगह है। यहां की गुफाएं सुंदर और दीवार चित्रों व कला का घर हैं जो बुद्ध और हिंदू धर्म के जीवन पर बेस्ड है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित गुफाएं प्रकृति का शानदार उदाहरण है। 


अंडमान निकोबार द्वीप

यह 572 छोटे द्वीपों का एक समूह है जो अपने निर्वासित जंगलों, साफ जल और सदाबहार पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि ये दूसरे देशों के नजदीक स्थित हैं, इसलिए यहां विभिन्न वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला का नजारा देखने को मिलता है। पर्यावरण पर्यटकों के लिए इस द्वीप के पास बहुत कुछ है।


केवलादेव नेशनल पार्क

राजस्थान के भरतपुर में स्थित, केवलादेव नेशनल पार्क मानव निर्मित वेटलैंड है और भारत में सबसे प्रसिद्ध अभयारण्यों में से एक है। यहां पर पक्षियों की हजारों प्रजातियां देखने को मिलेगी। इस राष्ट्रीय उद्यान में 379 से अधिक फूलों, 366 पक्षी और मछली की 50 प्रजातियां देखने को मिलेंगी। केवलादेव नेशनल पार्क देश के सबसे अमीर पक्षी विहारों में में से एक है, खासकर सर्दियों के महीनों के दौरान यहां देश-विदेशी पक्षियों का झुंड देखने को मिल जाएगा।
पर्यटन सिर्फ मनोरंजन का नहीं बल्कि धरती, प्रकृति को जानने का भी एक रास्ता है। हम सभी की ये जिम्मेदारी है कि हम जहां भी जाएं प्रकृति का ख्याल रखें और अपने आने वाली पीढ़ी को भी ये सीख दें।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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