

90’s का हर वो यूथ जिसनें तारों से परिपूर्ण आसमान का अनुभव किया है, वो समझ सकता है कि 2023 में शहरों के आसमान से तारों का गायब होना कैसा लगता होगा। यही नहीं अगर बात कोविड-19 के समय की करें तो दिल्ली की घनी आबादी वाली जगहों से भी लोगों ने अरावली हील्स का खूबसूरत नजारा देखा था। ये दोनों की सिचुएशन इसलिए क्रिएट हो पाए क्योंकि तब पॉल्युशन का लेवल अपने सबसे निचले स्तर पर था, जो कि मानवीय जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। ऐसा नहीं है कि भारत में हर व्यक्ति पर्यावरण के प्रति गैर जिम्मेदार है, बल्कि हाल के कुछ वर्षों में लोगों ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझा भी है। जिसके पीछे सरकार की पर्यावरण हितैषी योजनाएं हैं। ताकि हमारा आने वाला कल फिर से एक बेहतर और सुरक्षित वातावरण को महसूस कर सके। ऐसी योजनाओं में से एक है भारत सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति (Electric Vehicle policy) जिससे नवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोहततों पर निर्भरता कम हो और वाहनों से होने वाले प्रदूषण को भी कम किया जा सके। इस लेख के माध्यम से हम आपको बता रहे हैं कि कैसे इलेक्ट्रिक वाहन नीति से सरकार पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए अपने अभियान की शुरूआत कर चुकी है…
वर्तमान में भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र एक आदर्श परिवर्तन की दिशा में बढ़ रहा है, क्योंकि यह वैकल्पिक, कम ऊर्जा-गहन विकल्पों में परिवर्तन का प्रयास कर रहा है। इसके लिए COP26 शिखर सम्मेलन में भारत 2030 तक कम से कम 30% निजी ऑटोमोबाइल को ईवी (Electric Vehicle) के रूप में रखने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए कार्य कर रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 2047 तक का लक्ष्य
हाल ही में एक प्रतिष्ठित मीडिया हाउस ने भारत में बिकने वाली गाड़ियों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसके मुताबिक 2047 तक देश में बिकने वाली गाड़ियों में 87 फीसदी गाड़िया इलेक्ट्रिक होंगी। इन गाड़ियों में 90 फीसदी टू-व्हीलर, 92 फीसदी थ्री-व्हीलर, 79 फीसदी पैसेंजर कारें और 67 फीसदी इलेक्ट्रिक बसें हो सकती हैं। वहीं 2047 तक कच्चे तेल की खपत में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आने की संभावना का जिक्र भी इस रिपोर्ट में किया गया है। भारत सरकार का लक्ष्य ना केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ाना है बल्कि इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री को भी बढ़ावा देना है। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और अवेयरनेस प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों के द्वारा प्रयास कर रही है।
इलेक्ट्रिक वाहन और भारतीय बाजार
इलेक्ट्रिक वाहनों की उपयोगिता को देखते हुए लोगों में काफी जागरूकता आयी है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार साल 2022 में 223 प्रतिशत तक बढ़ा था। वहीं ये भी कहा गया है कि 2047 तक कुल वाहनों की बिक्री के 87 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं। यानी कि लगभग आधे की पहुंच तक। इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (IESA) ने अपनी एक रिपोर्ट में ये भी दावा किया है कि वर्ष 2021 से 2030 के बीच भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का मार्केट 49 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ेगा। अनुमान ये भी है की बिक्री के मामले में 2030 तक यह संख्या 17 मिलियन के पार जा सकती है।
जहां एक तरफ पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है वहीं दूसरी तरफ लोगों ने पेट्रोल वाली गाड़ियों के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक व्हीकल को अपनाना शुरू कर दिया है। सरकार द्वारा निजी दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी की वजह से भी लोगों ने इसे अपनाने में देरी नहीं की है। लोग अब इलेक्ट्रिक व्हीकल से पर्यावरण के लाभ को समझ रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग जैसे वैश्विक समस्या से निपटने में भी इलेक्ट्रिक वाहन सहायक साबित हो रहे हैं।
भारतीय राज्य और ईवी पॉलिसी
पिछले पांच सालों में जिन 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ईवी पॉलिसी को अपनाया है उनमें से 16 को 2020 और 2022 के बीच जारी किया गया। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और दिल्ली जैसे राज्य शामिल हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल के उपयोग को आसान बनाने के लिए देश के लगभग सभी नवनिर्मित एक्सप्रेस-वे और हाइवे सड़कों पर चार्जिंग स्टेशनों की व्यवस्था की जा रही है। यही नहीं देश में कई नए स्टार्टअप खोले गए हैं जो ईवी कल्चर को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
ईवी पॉलिसी इंसेंटिव
दिल्ली, ओडिशा, बिहार, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और मेघालय सरकारें डिमांड के लिए अच्छे इंसेंटिव दे रही है, वहीं, तमिलनाडु, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में सप्लाई के लिए बेहतरीन इंसेंटिव दिया जा रहा है। इसमें राज्य की इंडस्ट्रियल पॉलिसी में पेश किए गए इंसेंटिव के अलावा ईवी मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए स्पेशल सपोर्ट भी शामिल किया गया है।
भविष्य को बेहतर बनाने और पर्यावरण हितैषी योजनाओं के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को लागू किया गया है। हाल ही में हुए कई नवाचार भी इस ओर इशारा करते हैं कि आने वाले समय में पर्यावरण प्रदूषण से राहत जरूर मिलेगी।
इस क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को बल प्रदान करेगी। इसे भारत में परिवहन क्रांति के तौर पर भी देखा जा रहा है। लेकिन पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी सिर्फ यहीं पर ही नहीं खत्म होती है। हम सभी में उस मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है जो पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को परिलक्षित करते हैं। पानी, पेड़, जंगल और जमीन के प्रति हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए सरकार की पर्यावरण हितैषी योजनाओं का हिस्सा बनकर बेहतर भविष्य के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
नोट- यह लेख विभिन्न सरकारी आंकड़ों, मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। Seepositive उन उद्देश्यों के लिए समर्पित है जहां नवाचारों को अपनाते हुए प्रकृति के संरक्षण के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को निभाया जाए और सभी तक ये संदेश एक सकारात्मक सोच के साथ पहुंचे।