जानिए कैसे नौकरी छोड़कर अर्बन फार्मर्स को खेती करना सीखा रहे हैं जयपुर के अनिल!

पेड़-पौधों हमारी जरूरत हैं, आज की और भविष्य की भी। बढ़ते शहरीकण की वजह से पेड़ों का कम होना इन दिनों आम बात हो गई है। जो एक चिंता का विषय है। इसके अलावा गार्डनिंग और पेड़-पौधों के शौकिन शहर में रहने वाले लोगों की एक शिकायत आम होती है कि जगह की कमी है तो पेड़ कैसे उगाएं और कैसे करें गार्डनिंग?
 
अब मिलते हैं राजस्थान के जयपुर के रहने वाले अनिल थडानी से, जिनके पास उपर लिखी गई समस्या का हल है। ‘कृषि’ विषय में अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी करने वाले अनिल अर्बन फार्मर्स यानी कि शहर में रहने वाले लोगों को बताते हैं कि कैसे वे कम जगह पर ही खेती या गार्डनिंग कर सकते हैं।
 

शुरू से शुरू करते हैं…

अनिल राजस्थान के वे युवा हैं जिन्होंने एग्रीकल्चर की पढ़ाई की है। बाद में उन्होंने विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर, एक साल तक अपनी सेवाएं भी दी। फिर किसी भी आम आदमी की तरह उन्होंने नौकरी की। लेकिन उन्हें नौकरी में मन नहीं लगा और नौकरी छोड़कर अपनी नर्सरी, ‘पौधशालम‘ की शुरुआत कर दी, जो हाइड्रोपोनिक फार्मिंग सिखाने के साथ-साथ, किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) पर परामर्श देने का काम करती है।
अनिल आस-पास के गांवों में किसानों से मिलते-जुलते और उन्हें जैविक खेती के तरीकों के बारे में बताते हैं। किसानों के रूचि के अनुसार उन्हें वे ये सब सिखाते भी थे।
 

छोटे स्तर से की शुरूआत

अनिल पैसे कमाने से ज्यादा कुछ ऐसा करना चाहते थे जो खेती को नई ऊंचाईयों पर ले जाए। उन्होंने हाइड्रोपोनिक खेती के बारे में सोचा कि अगर इसकी जानकारी लोगों को हो जाए तो वे कम जगहों पर खेती कर सकते हैं। उन्होंने लगभग 14,000 रुपये के छोटे से निवेश से शुरूआत की। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान, जैविक तरीकों से अलग-अलग तरह की खाद, पोषक घोल, पॉटिंग मिक्स बनाना सीखा लिया था, जो उन्हें अब काम आ रही है। वे अपनी नर्सरी और किसानों के लिए वह वैज्ञानिक तरीकों से जैविक खाद और उर्वरक तैयार करने का काम करते हैं।
 
नर्सरी के साथ, वे लोगों के घरों में अलग-अलग तरह के गार्डन, जैसे- हाइड्रोपोनिक, वर्टिकल, टेरेस गार्डन लगाने की सर्विस भी शुरू कर चुके हैं। जिसका फायदा अर्बन गार्डनर और फार्मर्स को हो रहा है। अनिल की कोशिशों से अब तक कई घरों में हाइड्रोपोनिक सेटअप, वर्टिकल और टेरेस गार्डन लग चुके हैं।
 

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग और गार्डनिंग को दे रहे हैं बढ़ावा

अनिल कहते हैं कि टेरेस गार्डन में हाइड्रोपोनिक सेटअप करके बिना मिट्टी की झंझट के ऑर्गेनिक सब्जियां उगाई जा सकती हैं। उनका मानना है कि इससे एक छोटा सा बिज़नेस भी शुरू किया जा सकता है। एक गृहिणी हो या रिटायर इंसान, छोटे से थर्माकोल के बॉक्स में प्रयोग करके इसकी शुरुआत कर सकता है। ऐसा कर हर कोई अपने परिवार के साथ-साथ, जैविक सब्जियां अपने दोस्तों और पड़ोसियों को भी खिला सकता है।
 
SP LOGO

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.
CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.