पानी के बॉटल से अब नहीं होगा पॉल्यूशन का डर, जानें 12 साल की बच्ची ने कैसी खोजी नई तकनीक !

पानी की प्लास्टिक बॉटल पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है। लगातार बढ़ते कचरे ने भविष्य की चिंता को बढ़ा दी है। पूरी दुनिया इस तकनीक की खोज में जुट गई है कि कैसे दुनियाभर में बढ़ रहे कचरे को खत्म किया जाए जिससे आने वाले भविष्य की चिंता खत्म हो। इन सबके बीच कैलिफोर्निया की 12 साल की बच्ची मेडिसन चेकेट्स ने एक ऐसा इनोवेशन किया है जो दुनिया की कचरे की समस्या का हल हो सकती है। ये इनोवेशन पानी के सोर्स से होने वाले प्रदूषण से निपटने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। दरअसल मेडिसन ने ऐसी वॉटर बॉटल बनाई है, जिसे खाया जा सकता है।
 
 

प्रदूषण रोकने वाली अनोखी वॉटर बॉटल

मेडिसन हर साल छुटि्टयों में एस्कॉनडीडो तट पर सैर करने जाती थीं। जहां पड़े सैकड़ों प्लास्टिक बॉटल के कचरे उन्हें परेशान करते थे। तब मेडिसन ने प्लास्टिक के कचरे को खत्म करने की दिशा में काम करने की सोची। उन्होंने प्लास्टिक पॉल्यूशन पर रिसर्च किया और ‘इको-हीरो’ नाम के प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। उन्होंने जिलेटिन के इस्तेमाल से खाने के लायक बॉटल तैयार की। चेकेट्स के इस प्रोजेक्ट को उटा की चर्चित स्टेम फील्ड की प्रतियोगिता 2022 ब्रॉडकॉम मास्टर्स कंपीटिशन में फर्स्ट प्राइज मिला। इस प्रोजेक्ट की कामयाबी के बाद अब वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होने की तैयारी कर रही हैं।
 

दुनियाभर में प्लास्टिक प्रदूषण का बड़ा कारण

प्लास्टिक बॉटल्स के ये कचरे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ये कचरा प्लास्टिक के टुकड़ों के रूप में नदी या समुद्र में मिल जाते हैं और पानी को प्रदूषित करते हैं। रिसर्च के दौरान चेकेट्स को जेल से बनी झिल्ली में तरल पदार्थ सहेजने की प्रक्रिया का पता लगा। अपने इनोवेशन में मेडिसन ने इसी खूबी का उपयोग किया। जिलेटिन मेम्ब्रेन से तैयार इस बॉटल में एक कप से थोड़ा कम पानी रखा जा सकता है। इस बॉटल को बनाने का खर्च करीब 100 रुपए है।
 
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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