किसान के इनोवेटिव आइडिया ने पेस्टीसाइड के इस्तेमाल को किया खत्म, सोलर एनर्जी से बनाया सोलर ट्रैप!


कर्नाटक के एमजी करीबसप्पा एक इनोवेटिव किसान हैं। उनके इनोवेशन से अब किसानों को अपने खेतों में पेस्टिसाइड के इस्तेमाल से मुक्ति मिली है। दरअसल करीबसप्पा अपने अनार के खेत में फसल पर बढ़ते कीड़ों से काफी परेशान थे। उन्होंने फसल को बचाने के लिए लाखों रुपए का कीटनाशक इस्तेमाल करने के बजाए एक सोलर ट्रैप का बना दिया।

ऐसे आया आइडिया

कर्नाटक के रहने वाले एमजी करीबसप्पा अनार की खेती कर रहे थे। उन्होंने देखा कि फसल पर कीड़े लग रहे हैं। इससे उन्हें अपने खेत में फसल के खराब होने का दर सताने लगा। उन्होंने इससे बचने के उपाय के बारे में बात की तब लोगों ने उन्हें बताया कि उन्हें इन कीड़ों को खत्म करने के लिए अपने खेत में जब लाखों रुपए का कीटनाशक इस्तेमाल करना होगा।


करीबसप्पा एक छोटे किसान हैं और उनके लिए कीटनाशक पर इतना खर्च करना बड़ी बात थी। उन्हें कीटनाशक के लिए लोन लेना पड़ता। वहीं कई प्रयास के बाद भी करीबसप्पा के अनार की खेती अच्छी नहीं हुई, जिससे वे काफी निराश हुए।उन्होंने तय किया कि वो खुद ही इसका हल खोजेंगे।

उन्होंने काफी जानकारी जुटाई कि अनार की फसल पर कीड़ों के हमले को किस तरह रोका जा सकता है। कुछ दिनों तक करीबसप्पा इसी बारे में सोचते रहे और एक दिन उन्हें इसका एक रास्ता मिल गया। करीबसप्पा के खेतों में एक छोटी झोपड़ी थी जहां कोई रोशनी के लिए कोई साधन नहीं थी।लाइट की व्यवस्था के लिए उन्होंने वहां पर उन्होंने एक सोलर बल्ब लगाया।

उन्होंने ये नोटिस किया कि जब सोलर बल्ब जलता है तो कीड़े लाइट की तरफ आकर्षित होते हैं। इस बात के अगले ही दिन करीबसप्पा ने बाजार से एक सामान्य डीसी सोलर बल्ब खरीदा और उसे एक बाल्टी में लगाकर तीन-चार दिन के लिए जलाकर खेत में कई जगहों पर छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने ये देखा कि बाल्टी में बहुत से कीड़े मरे पड़े थे।

कृषि विज्ञान केंद्र से ली मदद

इसके बाद करीबसप्पा बाल्टी में जमा हुए कीड़ों को उठाकर आईसीएआर के कृषि विज्ञान केंद्र ले गए। उन्होंने वहां के एक साइंटिस्ट से पूछा कि ऐसा किसलिए हुआ। उन्हें साइंटिस्ट से पता चला कि अगर अलग-अलग ऊंचाई पर अलग-अलग कलर की लाइट लगाकर इस एक्सपेरिमेंट को जारी रखें, तो कीड़ों से निजात पाई जा सकती है।  


खुद ही तैयार किया सोलर ट्रैप

इसके बाद करीबसप्पा ने एक छोटा सोलर ट्रैप डेवलप किया ताकि वे अपने खेतों से कीड़ों को भगा सकें। उन्होंने सिर्फ 3500 रुपए की लागत से टाइमर Solar Trap की प्रोग्रामिंग की और उनका ये आइडिया कारगर निकला। आज करीबसप्पा एक कंपनी चलाते  जो इस तरह का सोलर इंसेक्ट ट्रैप का निर्माण करती है।


उनकी कंपनी लक्ष्मी ऑर्गेनिक दो करोड रुपए सालाना का कारोबार भी कर रही है। खेतों में कीड़ों को मारने वाला यह ट्रैप देश भर के छह राज्यों के 16000 किसान की मदद कर चुका है। कुछ दिनों पहले यह सोलर इंसेक्ट ट्रैप मलेशिया, ब्रिटेन, बहरीन, नेपाल और ऑस्ट्रेलिया के कुछ किसानों तक भी पहुंचा। करीबसप्पा एक इनोवेटिव किसान हैं जिन्होंने अपनी परेशानी का एक ऐसा हाल खोजा जो पर्यावरण के भी अनुकूल है।
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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