Single Use Plastic: प्लास्टिक के यूज को रोकने MCD दिल्ली की पहल, QR बेस्ड कचरा संग्रहण सेवा शुरू!




Single use plastic के उपयोग, मैन्युसफैक्चेरिंग, स्टोिरेज जैसी चीजें 1 जुलाई से पूरी तरह प्रतिबंधित हो चुकी हैं। इसे पूरी तरह से लागू करने और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दिल्लीर नगर निगम (MCD) ने एक अनोखी पहल की है। एमसीडी नेसिंगल यूज प्लािस्िे कक को एकत्र करने वालों को बदले में उपहार देने की शुरूआत कर दी है।

दिल्ली नगर निगम ने स्वयंभू संस्था के साथ मिलकर प्लास्टिक कचरे के संग्रहण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। निगम के करोल बाग क्षेत्र ने निवासियों के लिए क्यू आर कोड (QR Code Based Service) आधारित ‘प्लास्टिक पिक-अप चैट बॉट’ की सुविधा लाई गई है। जिसकी मदद से लोग घर बैठे अपना प्लास्टिक कचरा दिल्ली नगर निगम को दे सकते हैं। और बदले में आकर्षक उपहार भी पा सकते हैं।

‘प्लास्टिक पिक-अप चैट बॉट’ (Plastic Pick-up Chat Bot) सुविधा की शुरूआत करते हुए अधिकारियों ने कहा कि यह निगम की यह सराहनीय पहल है। इस सुविधा को निगम के दूसरे क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा। इसके माध्यम से प्लास्टिक कचरे की समस्या का बेहतर समाधान करने में मदद होगी और प्लास्टिक को लैंडफिल साइट पर पहुंचने से रोकना आसान होगा।

QR कोड से जानकारी मिलने के 48 घंटे के भीतर कचरा लेने घर आएगा प्रतिनिधि

इस सुविधा से क्यू आर कोड को स्कैन कर चैट बॉट शुरू किया जा सकता है। यह नागरिकों से उनका नाम, मोबाइल नंबर और प्लास्टिक पिकअप करने की जगह का विवरण पूछेगा। जिसके बाद 48 घंटे के भीतर निगम द्वारा अधिकृत ‘स्वयंभू’ संस्था का प्रतिनिधि घर से ही प्लास्टिक को इकट्ठा करेगा।

दो किलो प्लास्टिक एकत्र होने पर किया जा सकेगा आवेदन

अध‍िकार‍ियों के अनुसार दूध, ब्रेड, नमकीन, चिप्स और दूसरे पालीबैग को कूड़े में फेंकने से रोकने वालों को प्रोत्सािह‍ित और जागरूक करने के लिए इस पहल की शुरूआत की गई है। इसको फेंकने की बजाय लोग इस कूड़े को एकत्र करना शुरू कर देंगे, इसके बदले निगम उनको उपहार देकर प्रोत्साहित करेगा। इसके लिए ही दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के करोल बाग जोन ने क्यूआर कोड बेस्डा प्लास्टिक संग्रहण सेवा को लॉन्चु किया गया है। करीब दो किलो प्लास्टिक होने पर लोग क्यूआर से आवेदन कर सकेंगे।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

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