

1. आमदनी में बदलाव होने पर
अक्सर ये देखा जाता है कि आमदनी बढ़ने पर लोग अपने खर्च बढ़ा लेते हैं। लेकिन सबसे पहले जो जरूरी है वो है अतिरिक्त आय को ऐसे साधनों में निवेश करना जो वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मददगार साबित हो। इसके साथ ही हर व्यक्ति को अपने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के कवर को भी बढ़ाना चाहिए। आमदनी घटने या बंद होने पर गैर-जरूरी खर्च घटाने के अलावा पहले की गई बचत के इस्तेमाल की प्राथमिकता तय कर लेनी चाहिए।
2. महत्वपूर्ण आयोजन पर दें ध्यान
शादी, बच्चे का जन्म जैसे कई जरूरी आयोजन सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव होते हैं। इनके लिए पैसों की जरूरत को ध्यान में रखना चाहिए। जैसे कि रुपए कहां से आएंगे, अगर कर्ज लेंगे तो उसको चुकाने की क्या व्यवस्था है। इसको अपनी प्लानिंग में जोड़ना चाहिए या नहीं। साथ ही अपने जीवनसाथी, अपने बच्चों, अपने परिवार की जरूरतों को भी प्लानिंग में जगह देना सबसे जरूरी पहलू है।
3. कर्ज लेते समय रखें ध्यान
बच्चों की उच्च शिक्षा आदि के लिए कर्ज लेते समय भी फाइनेंशियल प्लानिंग की समीक्षा जरूर करनी चाहिए। कहीं किसी कदम से आपका भविष्य तो संकट में नहीं आएगा। अगर बच्चे को शिक्षा के बाद समय पर नौकरी नहीं मिलती है तो कर्ज चुकाने के लिए क्या व्यवस्था की गई है, ऐसी स्थितियों को समीक्षा के माध्यम से फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए।
4. बड़ी खरीदारी करते समय
ज्यादातर भारतीयों के लिए घर या कार खरीदना आमतौर पर एक बड़ी बात होती है। इनके साथ ही इनसे जुड़े खर्च भी बढ़ते जाते हैं। लोन का रीपेमेंट से लेकर इनके मेंटेनेंस पर होने वाले खर्च और इंश्योरेंस के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग सबसे जरूरी होती है।
5. रिटायरमेंट नजदीक होने पर
उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसके अलावा आमदनी भी स्थिर होती है। सबसे बड़ी समस्या रिटायरमेंट के बाद होती है। एक निश्चित अंतराल के बाद अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग की समीक्षा करने से भविष्य में होने वाली तकलीफों से बच सकते हैं। बढ़ती महंगाई को समायोजित करने के साथ ही हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस का कवर बढ़ाने पर भी जरूर सोचना चाहिए।