

दरअसल G20 भविष्य की वैश्विक आर्थिक वृद्धि और समृद्धि को सुरक्षित करने में एक रणनीतिक भूमिका रखता है, क्योंकि इसके देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत भाग को लीड करते हैं, जो कि विश्व की जनसंख्या का लगभग वन थर्ड है।
मल्डटीलेटरल प्लेटफॉर्म की प्रेसीडेंसी भारत के लिए अवसर
एक्सपर्ट्स ये मानते हैं कि इस ने कहा कि इस मल्डटीलेटरल प्लेटफॉर्म की प्रेसीडेंसी करना भारत के लिए एक अवसर की तरह है। क्योंकि वह निवेश को आकर्षित करने के लिए अपनी ताकत और उपलब्धियों का अच्छी तरह से प्रदर्शन करने का मौका है। इन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपने व्यापार संबंधों को भारत जी-20 के माध्यम से गहरा बना सकता है।
जी-20 के बारे में…
G20 में 20 नहीं बल्कि 43 सदस्य देश हैं। इनमें 19 देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूके और यूएस हैं वहीं यूरोपीय संघ के 27 सदस्यीय समूह देश और तीन यूरोपीय संघ के देश – फ्रांस, जर्मनी, इटली शामिल हैं। G20 का सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक, EU, इस साल 1 अक्टूबर से कार्बन रेंज एडजेस्टमेंट मैकेनिज्म को गति देगा, जिससे भारत जैसे देशों से निर्यात महंगा हो सकता है।