आत्मनिर्भर भारत: नया भारत
प्रत्येक भारतीय को पिछले सात दशकों में हुई सामाजिक-आर्थिक प्रगति पर गर्व होना चाहिए।
प्रत्येक भारतीय को पिछले सात दशकों में हुई सामाजिक-आर्थिक प्रगति पर गर्व होना चाहिए।
प्राचीन काल से एक कहावत प्रचलित है, जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तब-तब ईश्वर पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। कर्म और धर्म के सही मायने मानव जाती को समझाने, 5000 साल पूर्व श्री कृष्ण पृथ्वी पर अवतरित हुये और लगभग 125 साल इस पृथ्वी पर व्यतीत किये।
सृष्टि के आरंभ से ही ईश्वर ने मानव को दिव्यता का उपहार दिया है। हालांकि समय के साथ-साथ भौतिकता और पशुता का मिश्रण होता गया। लेकिन भारतीय संस्कृति और वेदों में ऐसी कई पद्धितियां हैं, जिससे मानव ईश्वर द्वारा प्रदत्त दिव्यता को सहेज सकता है।
समय के चक्र में हर चीज अपना स्वरूप बदलती है। बदलाव ही प्रकृति का नियम है। लेकिन इसी प्रकृति ने एक रिश्ते को सभी बदलावों से परे रखा है। वो है माता-पिता और उनके बच्चों का रिश्ता।
इस आधुनिक दुनिया की दौड़ में जब हम दूसरे ग्रह पर जीवन तलाश रहे हैं तब हमें अपने ही घर (ग्रह) पृथ्वी पर विलुप्त होते जीवन की सुध क्यों नहीं है?
रामायण और भगवान राम हर भारतीय के दिल में बसते हैं, लेकिन क्या हम रामायण और भगवान श्री राम के जीवन के सही अर्थों को समझ पाये हैं? और अगर थोड़ा समझा भी है तो कितना जीवन में उतार पाये हैं? भारतीय ग्रंथो और उनके किरदार कितने प्रासंगिक है, कि- हर काल में उनके उदाहरण मिल जाते हैं।
108 नाम जिनके व्यक्तित्व के भाव को परिभाषित करते हैं। जो उत्कृष्टता की पराकाष्ठा हैं। जिनका हर रूप, हर अवतार दिव्यता से भरपूर है।
त्यौहार भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा है। त्यौहार न सिर्फ, मेल-मिलाप और खुशी मनाने का ज़रिया है बल्कि हमें जीवन की शिक्षा का पाठ भी पढ़ाते हैं। होली फाल्गुन माह में मनाई जाती है। जो बसंत ऋतु का आगमन का उत्सव कहा जा सकता है।
नारी, एक ऐसी शख्स है जिसे अनगिनत तरीके से अभिव्यक्त किया गया है। हो भी क्यों ना? नारी अपने जीवन में अनगिनत किरदार निभाती है। नारी के व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति का सबका अपना पक्ष और तर्क है। एक संतान की अभिव्यक्ति अपनी मां के लिए भिन्न है, तो एक बेटी, पत्नी, दोस्त, बहन के लिए अलग है।
मुझे आज भी याद है कि स्कूल, कॉलेज के समय सुबह की शुरुआत ही रेडियो के बटन को ऑन करने से होती थी। मानो आप सुन रहे हैं “चित्रलोक” ये वाक्य अलार्म हो। कोई भी सुबह बिना रेडियो के ज़हन में याद ही नहीं।