नव दुर्गा: नव संचार

अजीब सा संजोग है, कि मैंने कक्षा 9वीं से नवरात्रि के व्रत और माँ दुर्गा की आराधना शुरू की। आज 34 सालों से यह सिलसिला कायम है। यूँ तो नवरात्रि के महत्व को हम सब जानते है, लेकिन अगर मैं अपने संदर्भ में इन 34 सालों के दौरान हुए अनुभवों का अवलोकन करुं तो एक बात साफ तौर पर समान है।
 
ये नौ दिन में ऊर्जा का संचार, शक्ति का अहसास और धैर्य से साक्षात्कार होता है। एक स्त्री होने के नाते नारीत्व के गुणों का होना स्वाभाविक है। हर नारी किसी ना किसी रूप में इन गुणों को अपने अंदर महसूस करती है। लेकिन इन नौ दिनों में जो जीवन में जो ऊर्जा महसूस होती है, मानो वो हमारे अंदर के सारे भय और बेचैनी का खात्मा करने को उत्पन्न हुई हैं।
 
जीवन एक रास्ता है तो उतार चढ़ाव लाज़मी है, इन रास्तों पर जब थकान हुई, हताशा हाथ लगी या मन उदास हुआ, इन नौ दिनों ने हमेशा एक नये जीवन का संचार किया। मानो माँ दुर्गा इन नौ दिनों तक साक्षात् पृथ्वी पर विधमान रहती हैं। उस अनुभव को शब्दों में बांधना मुमकिन नहीं है लेकिन इन नौ दिनों के बाद मिली ऊर्जा को महसूस करना उतना ही आसान है।
 
भारतीय धर्म और संस्कृति में नवरात्रि का बहुत महत्व है। देश के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्रि के अपने मायने हैं और भिन्न-भिन्न मनाने के तरीक़े, लेकिन एक बात समान है कि हम सब में अपने जीवन में देवी के नौ गुणों को आत्मसात करने और सार्वभौमिक चेतना को सींचने का सामर्थ्य है।
 
सात्विक आहार, ध्यान, मंत्र, अराधना, व्यवहार से हमारा पूरा तंत्र परिष्कृत हो जाता है। पहले तीन दिन व रात माँ दुर्गा, अगले तीन दिन महालक्ष्मी, व अंतिम तीन दिन व रात महासरस्वती को समर्पित रहते हैं। इन तीनों चरणो में तीन चक्र काम करते हैं जो हमारी आंतरिक ऊर्जा को पोषित करते हैं।
 
यही थर्मोडायनैमिक्स का सिद्धांत भी है। पहले तीन दिनों का चक्र शरीर व प्राण वायु का शुद्धीकरण करता है, अगले तीन दिनों का चक्र भावनाओं का और अंतिम तीन दिनों का चक्र हमारे मन का शुद्धीकरण करता है।
 
देवी महात्म्य में कहा गया है कि “जैसे हर सृजन प्रकृति का ही स्वरूप है, इसलिये हर सृजन में स्त्री या शक्ति का अंश है।”
 
देवी के नौ स्वरूप प्रेम, करुणा, सहानुभूति, धैर्य, साहस व शक्ति, नम्रता, सौंदर्य, विचारमग्नता, अंतर्ज्ञान और कोमलता यह सभी स्वरूप हम सभी के भीतर है। माना जाता है कि तामसिक नींद से जागने के लिये हम माँ दुर्गा का स्मरण करते हैं। ताकि जिस आसुरिक सोच या व्यवहार को हमने जकड़ा हुआ है, उसे पराजित कर सात्विक मार्ग की ओर बढ़ सकें।
 
“मेरे मन के अंध तमस में, ज्योतिर्मयी उतरो………….”
 
|| नवरात्रि की शुभकामनाएँ ||
SP LOGO

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.
CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.