नव वर्ष : नयी आदतें

बीते साल के साथ सिर्फ़ कैलेंडर के पन्ने ही नहीं बदलते, उन 365 दिनों में हमारे जीवन का एक-एक दिन कुछ सबक़, कुछ सुकून, कुछ अनकहा, कुछ सब कुछ जाना पहचाना अपनी छाप बनाते हुये गुजरता है।
 
हर आने वाले नये साल के साथ हम अपने आप से कई वायदे करते हैं, लेकिन शुरुआती कुछ दिनों के बाद वो हमें खुद ही याद नहीं रहते।
 
वायदे समय और जरुरत के साथ शायद बदल जाते हो लेकिन अच्छी आदतें कभी नहीं बदलती, तो क्यो ना 2023 में नयी अच्छी आदतों को आत्मसात करें। नये साल में अपनी कुछ पुरानी आदतों को नया रूप दें। कुछ अच्छी और सच्ची 
 
आदतों को ज़िंदगी के खाँचे में सही तरीके से बैठाएं उन्हें स्वीकार कर, पूरे मन से अमल करे।
 
यूं तो इंसान को अपने आप को तराशने में हर दिन मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन मेरी समझ से चार बातें या आदतें ऐसी है जो हमारे खुद की परिभाषा बदल सकती है।
 
अच्छी भाषा, अच्छा व्यवहार, अच्छी वाणी ये तो हमने बहुत सुना है लेकिन अच्छी ऊर्जा को अपने अंदर पैदा करने की आदत बनाएं। आपने कभी गौर किया है कुछ लोग बिना एक शब्द बोले, अपनी ऊर्जा से सभी को प्रभावित करते हैं? 
उनकी ऊर्जा, उनके शब्दों से ऊपर बोलती है, और ये ऊर्जा हमारे अंदर तब आ सकती जब हम इसका क्षरण रोक पाये इसे लोगों, स्थितियों या घटनाओं के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देने में ज़ाया ना करें।
 
इसे अपने अंदर भर कर एक बच्चे के उल्लास, पंछी की चहक की तरह अभिव्यक्त करें। ये ऊर्जा की भाषा आपकी सबसे अच्छी दोस्त साबित होगी।
 
मनोविज्ञानी, “विक्टर फ्रेंकल का कहना है,” इंसान से उसका सबकुछ छीना जा सकता हैं। सिवाय एक चीज के, वो जो इंसान की आज़ादी का सबसे अहम सिरा है। किसी भी परिस्थिति में अपने रवैये का चुनाव करना। परिस्थितियां आपको अनगिनत टुकड़ो में भी तोड़ दे, तब भी चुनाव आपका ही होगा की खत्म हो जाये या सामना कर हौसले के साथ फिर खड़े हो, समय लग सकता है लेकिन हौसला खत्म न हो। रवैया ही विजेताओं को गढ़ता है।
 
एक कवियत्री का कहना है, “मेरे भीतर कई-कई तरह के करिश्में उजागर होने का इंतज़ार कर रहे हैं, मैं अपनी ज़िंदगी से कभी निराश नहीं होने वाली।
 
जिसे अपने आप पर विश्वास हो कि अगर रास्ते में कोई रुकावट आयी तो वो नयी राह, नये तरीके से ढ़ूँढ ही लेगा, एक रास्ता बंद हुआ तो दूसरा चुन ही लेगा, कभी असफलता मिली तो अपने अंदर के अनगिनत करिश्में को याद कर फिर जोश 
से भर उठेगा, तब उसके जीवन में नैराशय का कोई स्थान ही नहीं है।
 
प्रेरणा पुंज ऐसे ही चमकते हैं।
 
जब खुद के विश्वास के साथ हम दूसरों के लिये कुछ कर पाते हैं तभी असली खुशी का अनुभव होता है।
 
यक़ीन मानिये अपने लिए हासिल की गई बड़ी से बड़ी खुशी, छोटी सी निस्वार्थ कोशिश दूसरों की खुशी के लिए जब की जाती है, तो वह अपनी खुशी से वजनी होती है।
 
अपने काम से, सेवा से अपनी हल्की सी ही सही छाप ज़रूर छोड़े। अपने तो याद करेंगे ही, अनजान के जीवन में भी आपकी छाप हो तो क्या कहने।
 
जीवन हर वक्त बदलता रहता है, बदलाव प्रकृति का नियम है। अपने आप को कुछ आदतों में समय के साथ बदलिये लेकिन कुछ अंतर्मन की आदतों को और मज़बूत करिये फिर जीवन खुद दर्शन बन जायेगा।
 
नव वर्ष की शुभकामनाये!
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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