

युवा इंडिया बदल रही है गरीब बच्चों की जिंदगी
गोरखपुर के रत्नेश तिवारी पिछले सात सालों से अपनी संस्था युवा इंडिया की मदद से कइ लोगों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी ला रहे हैं। पेशे से इंजीनियर रत्नेश हमेशा से जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ करना चाहते थे। एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में रत्नेश कहते हैं कि वे पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में जहाँ भी रहते थे, वहां किसी न किसी संस्था से जुड़कर सामाजिक कामों से जुड़े रहे। उन्हें ऐसा करने के लिए उनके माता-पिता ने प्रेरित किया।
सड़क पर घूमते बच्चे देखकर आया आइडिया
हैदराबाद में काम करते हुए उन्होंने सड़क पर घूमने वाले बच्चों का जीवन देखा यही से उन्हें प्रेरणा मिली। उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। यही समय था जब उन्होंने फ्री स्कूल के बारे में सोचा। रत्नेश चाहते थे कि उनके शहर में सड़क पर रहनेवाले परिवार के बच्चे भी अच्छा जीवन जिएं। इसी सोच के साथ वह वापस गोरखपुर आए, यहां आकर उन्होंने अपना खुद का काम शुरू कर दिया। साथ ही उन्होंने जरूरतमंदों के लिए एक संस्था भी स्थापित की।
चार बच्चों के साथ शुरू हुआ फ्री स्कूल अभियान
साल 2016 में रत्नेश ने युवा इंडिया मंच की शुरुआत की थी। इसके तहत वे खुद ही एक स्लम इलाके में जाकर बच्चों को पढ़ाते थे। शुरुआत में उन्होंने ‘अक्षर मुहिम पाठशाला’ नाम से एक स्कूल खोला, जिसमें सिर्फ चार-पांच बच्चे पढ़ने आते थे।
धीरे-धीरे और पढ़े-लिखे व सक्षम लोग उनसे जुड़कर ये नेक काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने शहर के अलग-अलग इलाकों में एक छोटे स्तर पर पाठशाला लगानी शुरू कर दी। रत्नेश ने देखा कि सरकारी स्कूल होते हुए भी बच्चे वहां दाखिला नहीं लेते, क्योंकि या तो बच्चे या इनके परिवार वालों को शिक्षा की ताकत का पता ही नहीं था।
बच्चों की शिक्षा के साथ परिवार की आर्थिक हालत को सुधारने पर भी कर रहे काम
रत्नेश और उनकी टीम की ये कोशिश रहती है कि कैसे इन बच्चों को स्कूल तक पहुंचाया जाए। हालांकि, यह काम इतना भी आसान नहीं था लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय काम जारी रखा। समय के साथ उनके इस फ्री स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ी। आज रत्नेश ने करीबन 300 से ज्यादा बच्चों को स्कूल से जोड़ा है। सिर्फ शिक्षा ही नहीं रत्नेश इन बच्चों के परिवार की स्थिति सुधारने के लिए भी काम करते हैं। वे यहां रहनेवाली महिलाओं के लिए लाइवलीहुड प्रोग्राम चलाकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम कर रहे हैं। उनकी टीम से आज कई डॉक्टर, इंजीनियर और MBA ग्रैजुएट जुड़े हैं।
उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि आज शहर के कई परिवार अपने छोटे-छोटे कामों के लिए किसी पर निर्भर रहने की बजाय काम से जुड़कर अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहे हैं। रत्नेश जैसे युवाओं की जरूरत आज समाज को वाकई है जो खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचते हैं। रत्नेश के जज्बे को seepositive सलाम करता है।