

गाजियाबाद के इंदिरापुरम में शिक्षा की एक खास मुहीम चलाई जा रही है। इस स्कूल में पढ़ाई के लिए किसी तरह की कोई फीस नहीं दी जाती है साथ ही पढ़ाई के साथ खाना, स्टेशनरी और यूनिफॉर्म भी फ्री में दिया जाता है। शर्त सिर्फ इतनी है कि यहां प्लास्टिक वेस्ट जमा किया जाए। है न खास पहल….इससे जहां बच्चे फ्री शिक्षा से जुड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण संरक्षण और व्यवहारिक शिक्षा भी ले रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा की क्लास
इस खास मुहीम को चला रही हैं NTPC की रिटायर अधिकारी नीरजा सक्सेना। वे एक फुटपाथ स्कूल चला रही हैं। जहां बच्चों को शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का पाठ भी पढ़ाया जाता है। उनकी इस शानदार पहल से अब तक इन बच्चों ने 4000 ईको ब्रिक्स बनाकर सैकड़ों किलो प्लास्टिक वेस्ट को लैंडफिल में जाने से रोका है।
नीरजा के स्कूल में बड़े बच्च एक महीने में चार ईको-ब्रिक्स देते हैं तो छोटे बच्च दो। वे एक पर्यावरण प्रेमी होने के नाते बच्चों को प्लास्टिक वेस्ट के खतरे के प्रति जागरूक करती रहती हैं। उनके इन प्रयासों के कारण अब यहां आने वाले बच्चों की सोच में भी काफी बदलाव आया है। कभी खुद कूड़ा फैलाने वाले बच्चे अब किसी भी सड़क या चैराहे पर पड़ा प्लास्टिक झट से उठाते हैं।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए मिली स्कूल शुरू करने की प्रेरणा
नीरजा कहती हैं कि, उन्हें इसके लिए प्रेरणा लॉकडाउन के दौरान मिली। उस समय वह आसपास की बस्तियों में खाना लेकर जाती थीं। तब उन्होंने देखा कि बच्चे खाना तो कहीं न कहीं से जुटा लेते हैं, लेकिन शिक्षा से कोसो दूर हैं। उन्होंने अपने खाली समय को इन बच्चों के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया।
नीरजा अपनी सोसाइटी के फुटपाथ पर ही एक छोटा सा स्कूल शुरू चला रही हैं। वे इन बच्चों को सलीके से रहना, पढ़ना और शिक्षा की अहमियत सिखाने का काम करती हैं। पहले वह बच्चों को फ्री में ही पढ़ाती थीं लेकिन बाद में बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए प्लास्टिक वेस्ट जमा करने की तरकीब सोची।
नीरजा पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और सामाजिक कार्यों से जुड़कर समाज को एक सही दिशा दे रही हैं। वे बच्चों के साथ मिलकर पौधरोपण जैसे कार्यक्रम भी करवाती रहती हैं। जहां लोग रिटायरमेंट के बाद आराम करने की सोचते हैं वहीं नीरजा अपने काम के जरिए आने वल कल को बेहतर बनाने का काम कर रही हैं।