

लाइब्रेरी वो जगह होती है जहां दुनिया-जहान एक ही जगह में समाहित होती है। सीतापुर के सहजापुर प्राथमिक विद्यालय में इसके लिए एक पहल की गई है जो वाकई काबिले तारीफ है। यहां के प्राथमिक शाला में एक शिक्षक हैं। अभिषेक शुक्ला, उनकी पहल पर अब यहां के छात्रों को लाइब्रेरी की सुविधा मिल रही है। उन्होंने अपने स्कूल में एक अनोखी लाइब्रेरी की पहल की है। ये लाइब्रेरी काफी अलग है। इसकी वजह डोनेशन से मिली किताबें हैं।
क्या कहते हैं अभिषेक?
एक वेबसाइट में छपे उनके सााक्षात्कार के अनुसार “इस गर्मी की छुट्टी के दौरान समर कैंप में मुझे लाइब्रेरी के बारे में ख्याल आया। कैंप में बच्चों से कई तरह की गतिविधियाँ कराई जा रही थी। उसी समय लगा कि क्यों न स्कूल में भी ऐसी किताबें होनी चाहिए जिनसे अपने पाठ्यक्रम के अलावा भी बच्चे कुछ अलग सीख सकें। इसलिए हमने इस बार पुस्तक दान अभियान को शुरू किया, जिसके लिए सबसे पहले मैंने खुद ही किताबें खरीदीं और इस अभियान को गति दिया।”
स्कूल के कुछ पुराने छात्र भी इस मुहिम का हिस्सा बन गए। धीरे-धीरे ऐसे लोग बढ़ते गए। समाज के साथ बच्चे भी जुड़ते गए। स्कूल के शिक्षकों के द्वारा किए जा रहे इस काम के लिए स्कूल को काफी सराहना मिलीं। सारी पुस्तकें बच्चों के अनुसार है। इस स्कूल में कक्षा 5 तक के विद्यार्थी हैं इसलिए बच्चों से जुड़ी कुछ कॉमिक्स भी यहां दिखाई देगी। जिस तरह लोग अन्नदान, वस्त्रदान, रक्तदान और अन्य दान करते हैं , उसी तरह पुस्तक दान भी एक अतुलनीय पहल है।
शिक्षा से ही समाज और देश को नई दिशा, ऊंचाइयाँ मिलती है। पुस्तकों के बिना अच्छी शिक्षा नामुमकिन है। इसलिए सभी लोगों को अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुरूप अपने निकट के सरकारी विद्यालय में पुस्तक दान कर पुस्तकालय को समृद्ध बनाना चाहिए। बच्चों के उज्जवल भविष्य निर्माण में सहयोग करना एक सराहनीय कार्य है।