

Teacher’s Village: शिक्षा समाज को बेहतर बनाती है, तो शिक्षक बेहतर बनने का रास्ता। हम सभी के जीवन में शिक्षका को रोल बेहद इंपॉर्टेंट होता है। एक शिक्षक कई लोगों की जिंदगी संवार सकता है। पर सोचिए अगर पूरा एक गांव ही शिक्षकों का हो तो। ऐसा वास्तव में है। दरअसल भारत में एक गांव ऐसा भी है जिसे शिक्षकों का गांव कहते हैं। पूरे भारत को इस गांव ने लगभग 300 शिक्षक दिए हैं। यहां के लोग प्राइमरी, स्कूल प्रिन्सिपल, TGT टीचर, PGT टीचर, स्पेशल एजुकेटर और स्कूल इंस्पेक्टर तक बन चुके हैं। ये गांव है उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के पास जिसे मास्टरों का गांव कहते हैं। इस गांव का नाम है ‘सांखनी’ ये जहांगीराबाद से तकरीबन 3 किमी की दूरी पर है।
गांव पर लिखी गई है किताब
इस गाँव में एक शिक्षक हैं हुसैन अब्बास। उन्होंने सांखनी गांव के इतिहास पर एक किताब लिखी है जिसका नाम ‘तहकीकी दस्तावेज’ । हुसैन अब्बास ने किताब मे लिखा है कि अब तक इस गांव के तकरीबन 350 निवासी परमानेंट सरकारी शिक्षक बन गए हैं। इस गांव के सबसे पहले टीचर तुफैल अहमद थे, जिन्होंने 1880 से 1940 तक अपनी सेवाएं दी।
शिक्षा के मामले में गांव है अव्वल
1876 में इस गांव में पहला स्कूल बना था। तब उस स्कूल में सिर्फ तीसरी कक्षा तक ही पढ़ाई होती थी। बाद में 1903 के आस-पास यहां 4 प्राइवेट और 1 सरकारी स्कूल बन गए थे। वर्तमान में सांखनी में प्राइवेट और सरकारी स्कूल को मिलाकर कुल 7 स्कूल हैं।
शिक्षकों का गांव
वर्तमान में इस गाँव के 300 से 350 निवासी परमानेंट सरकारी टीचर के रूप मे अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सांखनी गाँव के टीचर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों के अलग-अलग जिलों मे टीचर की नौकरी करते हैं। गाँव मे ट्यूटर, गेस्ट टीचर, स्पेशल एजुकेटर की संख्या को मिलाकर अब तक 60 से 70 हो गयी हैं। समय के साथ महिला शिक्षक भी यहां बढ़ी हैं।
शिक्षक बनने की दी जाती है फ्री कोचिंग
सांखनी गांव में एंट्रेंस की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग भी दी जा रही है और इस फ्री कोचिंग का नाम सांखनी लाइब्रेरी एंड कोचिंग सेंटर रखा गया है। इसकी शुरुआत 2019 से हुई है। हुसैन की किताब ‘तहकीकी दस्तावेज’ के अनुसार , यह गांव तकरीबन पांच सौ साल पुराना है।