

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल हाल ही में एक सम्मेलन में शामिल हुए जहां उन्होंने बताया कि भारत में इथेनॉल शानदार उपलब्धियों को हासिल करते हुए आगे बढ़ रहा है। इन उपलब्धियों से हम दुनिया के सामने मिसाल बनकर खड़े हो गए हैं।
यह ‘मक्का से इथेनॉल’ पैदा करने के बारे में राष्ट्रीय सेमिनार सम्मेलन था। जिसका आयोजन नई दिल्ली में किया गया था। उन्होंने सेमीनार को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत में शक्कर क्षेत्र आत्मनिर्भर हुआ है। जहां पिछले पिराई मौसम के लिए किसानों को लगभग शत-प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब इथेनॉल से, मक्का बनाने वाले किसान और गन्ना उगाने वाले किसान दोनों की ही आय बढ़ेगी और वे भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसी सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपए के निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अनेक अवसर पैदा हो रहे हैं। इन फसलों से प्राप्त होने वाले इथेनॉल से पर्यावरण अनुकूल ईंधन प्राप्त हो रहा है। जो भारत सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रहा है।
एथेनॉल की वजह से घाटे से बाहर आया चीनी उद्योग
इसकी वजह से चीनी उद्योग को पूरी तरह से पुनर्जीवित किया जा रहा है। इसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी पुनर्जीवित हो रही हैं, एथेनॉल की वजह से कई चीनी कंपनियां घाटे से बाहर आ चुकी हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि प्रधान है और इस अर्थव्यवस्था को सामाजिक और आर्थिक रूप से सहारा देने में चीनी उद्योग पहले आता है।
इथेनॉल है ग्रीन एनर्जी
इथेनॉल हरित ऊर्जा है, इसके इस्तेमाल से हम पर्यावरण में प्रदूषण से छुटकारा पा सकते हैं। इसकी आणविक संरचना में ऑक्सीजन की उपस्थिति होती है जिससे ये बहुत साफ तरीके से जलता है। पेट्रोल की तुलना में यह 20% कम हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड का उतपन्न करता है। भविष्य के ईंधन के रूप में इसे देखा जा रहा है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
हाल ही में जारी सरकारी रिपोर्ट्स की मानें तो देश को 2025-26 तक 20% ब्लेंडिंग का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए लगभग 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी। इस लक्ष्य को हम तभी पा सकते हैं जब हम उपलब्ध अनीवीनीकरणीय संसाधनों की जगह वैकल्पिक संसाधनों की तरफ देखेंगे।