सतत विकास की गाथा लिख रहा है भारत, जानें कैसे!


India Sustainable Development: आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव मुसलटेड्डीगरीपल्ली से शुरू करते हैं, यहां महिलाएं वेगन, टमाटर, करेला और केले को बर्बाद होने से बचाने के लिए, सोट ऊर्जा संचालित ड्रायट में सुखाकर हर महीने लगभग 3.5 लाख रुपये अर्जित कर रही हैं। ये इस बात का उदाहरण है कि जब सबसे कमजोर और वंचित समुदाय अपने जीवन और आजीविका, नए बाजार तथा व्यवसायों से संबंधित अवसरों को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर स्थायी समाधानों को प्रदर्शित करने में सक्षम हो रहे हैं तो इसे राष्ट्रीय नीति रूपरेखा में शामिल करना जरूरी हो जाता है। इस कहानी को उदाहरण स्वरूप इसलिए समझाया गया क्योंकि भारत अब आजीविका के लिए नवीकरणीय ऊर्जा संबंधी नीति बनाने वाला पहला देश बन गया है। भारत सरकार ने इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कई इकाईयों और योजनाओं का संचालन किया है जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

उजाला योजना से बदल रही है जिंदगी

उजाला योजना का उद्देश्य है एलईडी प्रकाश व्यवस्था के माध्यम से ऊर्जा संरक्षण को सुनिश्चित करना है। सालाना लगभग 3.9 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को बचाने का प्रबंधन इसी से होता है। इसके अलावा जल जीवन मिशन ने 8 करोड़ ग्रामीण परिवारों को जल से सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति की सुविधा मुहैया करवाई है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत प्रगति निरंतर हो रही है। जिसके अंतर्गत 2026 तक चुनिंदा शहरों में अति सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण को 40 प्रतिशत तक कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। इसके अलावा, एकल-उपयोग प्लास्टिक पर अंकुश लगाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन आदि ऐसे उदाहरण है, जिनकी वजह से सतत विकास से जुड़े बड़े 
पैमाने के कार्यक्रम सफल हो रहे हैं।

2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य

अर्थव्यवस्था केद्रित कार्यक्रमों के माध्यम से सतत विकास को बड़े पैमाने पर गति सरकार दे रही है। 2030 तक लेट- कार्बन उत्सर्जन तक पहुँचने के लिए भारत की ऊर्जा प्रणाली और आर्थिक संरचना दोनों पर काम हो रहा है। भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी नवीकरणीय और सौर ऊर्जा क्षमता है। सीडब्ल्यू एनआरडीसी और एसटीजी के विश्लेषण के अनुवाद भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र 2030 तक 10 लाख लोगों को रोजगार देने वाला है। भविष्य में इसे पूरा करने के लिए किल काउंसिल फॉटी कर्मचारियों को हरित व्यवसायों और सेवाओं के लिए प्रशिक्षण देने का कम कर रही है। ग्रामीण भारत भी इस बदलाव से दूर नहीं है। वितरित नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों के पास 4 लाख करोड़ रुपये का बाजार अवसर है और ये जमीनी स्तर पर महिलाओं को सीधे सक्षम बना रही है।

इसी तरह पीएम कुसुम योजना को तहत अक्टूबर 2022 तक 1.5 लाख सिचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलने वाला बनाया गया है। इसका उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि के साथ सिचाई बलों को कम करते हुए उनकी आय में वृद्धि करना है।

हरित विकास को बढ़ावा दे रहा है भारत

भारत ने घोषणा की है कि हरित विकास 2047 तक एक विकसित देश बनने की उसकी यात्रा निरंतर गति में है। जलवायु परिवर्तन जैवविविधता के और प्रदूषण पृथ्वी की बड़ी समस्या है जिससे निपटने के लिए भी विभिन्न योजनाओं और बलों का सहारा लिया जा रहा है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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