

पर्यावरण संरक्षण और भविष्य की चिंती पर तेजी से काम हो रहा है। ट्रेड, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान, इनोवेशन जैसे क्षेत्रों में सस्टेनेबेलिटी को ध्यान में रखकर भविष्य की योजनाएं बनाई जा रही है तो यात्रा कैसे पीछे छूट सकता है। दुनियाभर में आजकल कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए ट्रैवलिंग का अनोखा ट्रेंड चल रहा है। इसके चलते यात्रियों को कम से कम लगेज के साथ सफर करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सस्टेनेबल ट्रैवल
सस्टेनेबल ट्रैवल एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जो पूरे ट्रैवल के ऐसे एक्सपीरियंस करवाती है जिसमें जिसमें आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दे और उनकी बेहतरी शामिल हो। ये ट्रैवलर्स के अनुभवों को बेहतर बनाने और गेस्ट कम्यूनिटी की जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाता है। सस्टेनेबल ट्रैवल के दौरान पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता, जीवन की गुणवत्ता, सांस्कृतिक विविधता, सभी के लिए रोजगार जैसे मुद्दों को एक सकारात्मक गति प्रदान की जाती है। वहीं ऐसे ट्रैवल से कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करने की दिशा में काम किया जाता है।
कुदरती तबाही की वजह से सस्टेनेबल टूरिज्म की जरूरत
भारत के कई टूरिस्ट स्पॉट्स पर ट्रैवलर्स की भीड़-भाड़ ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाने का काम किया है। हाल ही में हिमाचल और उत्तराखंड में नेचुरल डिजास्टर ने सस्टेनेबल टूरिज्म की जरूरत की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। ट्रैवल के पहले ट्रैवलर्स को अपने लगेज पर दोबारा ध्यान देने की जरूरत होती है। ताकि बढ़ते दबाव को कम किया जा सके।
दुनियाभर में कई तरीकों से हो रहे प्रयास
दुनिया के कई देशों में अलग-अलग तरीकों से सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा दिया है। रोम का वेनिस व्हील वाले सूटकेस पर प्रतिबंध लगाने वाला दुनिया का पहला शहर बन गया है। क्रोएशिया के डुब्रोवोनिक शहर ने भी यही नियम लागू किए हैं।