टील स्लैग रोड तकनीक की मदद से मिल रही देश को मजबूत सड़क, पर्यावरण संरक्षण की अनोखी पहल!


Waste to Wealth: पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है, दुनियाभर में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कचरे को खत्म करने की दिशा में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसीलिए आत्मनिर्भर भारत में अब ‘वेस्ट टू वेल्थ’ के मिशन को काफी बल दिया जा रहा है। इसके लिए भारत में स्टील स्लैग रोड तकनीक को अपनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वेस्ट टू वेल्थ’ मिशन को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) के ‘वन वीक वन लैब’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसके तहत केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने ये जानकारी दी कि गुजरात के सूरत में स्टील स्लैग रोड विनिर्माण तकनीक से पहली सड़क बनाई गई है। इसको तैयार करने में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक गिट्टी और रोड़ी का इस्तेमाल नहीं हुआ है। 

एक लाख टन स्टील स्लैग कचरे का हुआ है इस्तेमाल 

गुजरात के सूरत में स्टील स्लैग रोड तकनीक से बनी पहली सड़क राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर अपनी तकनीकी उत्कृष्टता के एक अलग पहचान स्थापित करेगी। आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील के हजीरा इस्पात संयंत्र से CRRI के तकनीकी की देखरेख में इस सड़क के निर्माण किया है, इस दौरान लगभग एक लाख टन स्टील स्लैग अपशिष्ट का इस्तेमाल किया गया है। इस सड़क को बनाने के लिए किसी भी प्रकार की प्राकृतिक गिट्टी और रोड़ी का उपयोग नहीं हुआ है। 

इसके अलावा BRO ने भी भारत-चीन सीमा पर CRRI और टाटा स्टील के साथ मिलकर अरुणाचल प्रदेश में स्टील स्लैग रोड बनाया है। जो भारत की पारंपरिक सड़कों की तुलना में काफी लंबे समय तक काम करेगी। इसी तरह से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भी CRRI द्वारा दिये गए तकनीकी मार्गदर्शन में JSW स्टील के सहयोग से राष्ट्रीय राजमार्ग-66 (मुंबई-गोवा) पर सड़क निर्माण में किया है। 

स्टील स्लैग रोड तकनीक के बारे में..

सड़क बनाने की इस टेक्नीक को भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय और देश की चार प्रमुख इस्पात निर्माता कंपनियों आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील और राष्ट्रीय इस्पात निगम के सहयोग से एक रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है। इस टेक्नीक को इस्पात संयंत्रों के अपशिष्ट स्टील स्लैग के बड़े पैमाने पर रीसाइकल की सुविधा देती है। देश में उत्पन्न लगभग 19 मिलियन टन स्टील स्लैग के प्रभावी निपटान में ये काफी उपयोगी साबित हुई है। गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश सहित देश के चार प्रमुख राज्यों में सड़क निर्माण में इस तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है।
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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