

भारतीय गायों के जरिए ऑस्ट्रेलिया में मानसिक रोगियों का इलाज किया जा रहा है। दरअसल नॉर्थ क्वींसलैंड में काऊ कडलिंग सेंटर तैयार किए गए हैं, जहां मानसिक शांति के लिए लोग गायों को गले लगाने आते हैं। गायों के साथ समय बिताकर सुकून पाना थैरेपी का हिस्सा है। लोग यहां आकर गायों की सेवा करते हैं।
इस थैरेपी के लिए फीस ली जा रही है। साथ ही इस साल से 4 NDIS कंपनियां (नेशनल डिसेबिलिटी इंश्योरेंस स्कीम) इसे अपनी नई स्कीम में भी कवर करने वाली है। स्कीम के लिए भारतीय नस्ल की गायों को चुनाव किया गया है, क्योंकि इनकी प्रवृत्ति शांत होती हैं।
काऊ थैरेपी मानसिक रोगी को रहा ठीक
मानसिक समस्या से गुजर रहे कई रोगी यहां काऊ कडलिंग फार्म पर गायों की सेवा करते हैं। मानसिक तौर पर बीमार होते हुए भी यहां उन्हें नौकरी दी गई है। वे पर्सनालिटी डिसऑर्डर, घबराहट और डिप्रेशन का शिकार हैं। ऐसे कई रोगी धीरे-धीरे वे ठीक हो रहे हैं। यहां काम करने वाली एक कर्मचारी बताती हैं, इन भारतीय गायों ने मेरी जान बचाई है। एक साल पहले तक अगर किसी ने मुझसे काऊ थैरेपी के बारे में कहा होता तो मैं इसे मजाक समझती, लेकिन एक साल में मैं पहले से बेहतर हुई हूं।
वो आगे बताती हुई कहती हैं, ये बात मेरे जुड़वा बेटे भी महसूस करते हैं। हर गाय का अपना अलग व्यक्तित्व है। इस थैरेपी से आप अंदर से ठीक होते हैं। यहां गायें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम से पीड़ित मरीजों के लिए थैरेपिस्ट हैं। उनका भी गायों के साथ रखकर इलाज किया जा रहा है।
ऑटिज्म पीड़ितों के लिए गायें दोस्त के समान
ऑटिज्म कार्यकर्ता और वैज्ञानिक कहते हैं, इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति दूसरे इंसानों से सहज नहीं होते हैं, ऐसे लोग जानवरों के साथ काफी सहजता महसूस करतेहैं। धीरे-धीरे वे इंसानों के साथ भी सहज महसूस करना सीख जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में अब इक्वाइन थैरेपी के विकल्प के तौर पर काऊ थैरेपी को लोग अपना रहे हैं।
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