मिट्टी के बर्तन में खाने से हेल्दी रहेगा आपका हार्ट और लीवर, खाने में पोषक तत्वों को रखता है सुरक्षित!



प्राचीन भारत में खाना बनाने से लेकर खाने तक मिट्टी के बर्तनों का ही इस्तेमाल किया जाता था। आज भी ग्रामीण भारत में कई जगह मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते लोग आपको मिल ही जाएंगे। दरअसल मिट्टी के बर्तन गुणों की खान होते हैं, इसमें बने भोजन से शरीर को तमाम पोषक तत्व मिलते हैं और शरीर कई तरह की बीमारियों से दूर भी रहता है। कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि कि मिट्टी और पत्थर से बने बर्तन में खाना पकाने के कई फायदे होते हैं।

पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं मिट्टी के बर्तन

इस विषय पर शोध कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी या पत्थर के बर्तन में बने खाने में आयरन, सल्फर, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इन बर्तनों में खाना धीमी आंच में पकने के कारण भोजन में मौजूद पोषक तत्व पूरी तरह से बचे रहते हैं।

ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी में फायदेमंद

मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने मे तेल का बहुत ही कम उपयोग होता है। इसमें खाना पकने की प्रक्रिया भी काफी धीमी होती है। इसलिए मिट्टी के बर्तन में बने खाने में प्राकृतिक नमी सुरक्षित रहती है। मिट्टी के बर्तनों में पके हुए भोजन को खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है, जिससे दिल की बीमारी का खतरा काफी कम हो जाता है।

शरीर में इन्सुलिन का लेवल रहता है मेंटेन

डायबिटीज से परेशान लोगों के लिए मिट्टी के बर्तन काफी फायदेमंद होते हैं। इसमें पका खाना खाने से इन्सुलिन का उत्पादन मेंटेन रहता है। इसके अलावा पोषक तत्वों से भरपूर खाना शरीर में इम्यूनिटी की मात्रा को भी बढ़ाने का काम करता है।

इसके अलावा एसिडिटी और गैस की समस्या को भी मिट्टी के बर्तन दूर करते हैं। मिट्टी के बर्तनों में प्राकृतिक तौर पर अल्कलाइन होते हैं, जो पीएच स्तर को संतुलित रखने में मददगार होते हैं। मिट्टी के बर्तन में कम मसालों के इस्तेमाल से भी 
खाना स्वादिष्ट होता है।

मिट्टी के बर्तनों को ऐसे करें उपयोग

एक्सपर्ट्स मिट्टी के बर्तन के इस्तेमाल को लेकर कहते हैं कि मिट्टी के बर्तन को सिर्फ धोकर इस्तेमाल ना करें। मिट्टी के नए बर्तन में सरसों का तेल लगाकर तीन चौथाई पानी भरकर रखें, इसके बाद बर्तन को धीमी आंच पर रखकर छोड़ दें औक आधे से एक घंटे के बाद उतार कर रखें।

बर्तन में खाना बनाने से पहले उसे पानी में 20 से 25 मिनट डुबाकर रखें, गीले बर्तन को सुखाकर ही उसमें खाना बनाना शुरू करें।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

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