RESEARCH: मातृभाषा कर सकती है डिप्रेशन-एंग्जाइटी का इलाज, वैज्ञानिक कर रहे रिसर्च



बहुत ज्यादा चिंता और ओवरथिंकिंग आपको बीमार बनाती है। ये डिप्रेशन की भी वजह है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने दिमाग को दूसरी दिशा की तरफ मोड़ें और मानसिक तौर पर खुद को हील करें। ऐसा नहीं है कि चिंता और जरूरत से ज्यादा सोचने वालों में सिर्फ आप हैं। हमारे आस-पास लगभग हर व्यक्ति ऐसा करता है लेकिन जरूरत है कई लोग इससे जल्दी निकल आते हैं।


अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर का यह कहना है कि हर कोई अपनी जिंदगी में कभी न कभी ऐसे दौर से गुजर रहा होता है, लेकिन जो इसे संभाल नहीं पाते वे डिप्रेशन या एंग्जाइटी का शिकार होते हैं। चिंता हमें भविष्य के लिए परेशान करती है, जबकि ओवरथिंकिंग पछतावा का भाव लाती है।

इस पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारा दिमाग संभावित परेशानियों की एक पूरी लिस्ट तैयार कर लेता है।

ओवरथिंकिंग से बचें

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी हालत में दिमाग को भटकाने से रोकना चाहिए। जब भी आप चिंता या बहुत ज्यादा सोचना इस तरह का कुछ महसूस करें, अपनी मातृभाषा में खुद से चिल्लाकर कहिए बंद करना होगा। यह आपको मजाक लग सकता है, लेकिन जब भी ऐसा हो, करके देखिए। दिमाग परेशान करने वाली बातें एकदम से छोड़ देता है। यानि कि डिप्रेशन-एंग्जाइटी की स्थित से आपकी मातृभाषा आपको निकाल सकती है।

अपने हाथ में रबर बैंड बांधिए और ऐसा कहते हुए उसे खींच दीजिए। आप अपने आसपास इस तरह की पेंटिंग भी लगा सकते हैं। दरअसल, हमारा लक्ष्य दिमाग को स्थिर करना होना चाहिए। खुद से यह कहना होगा कि हमारी सोच सही नहीं है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जो लोग परेशानियों का समाधान अपने तजुर्बे से ढूंढ़ते हैं, वे डिप्रेशन का शिकार कम ही होते हैं। इसलिए अपने अनुभवों को जरूर तवज्जों दें।

खुद को व्यस्त रखें

फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक का कहना है कि चिंता या ओवरथिंकिंग से बचने के लिए दिमाग भटकाने के कुछ और तरीके है, जैसे दोस्तों से बात करिए, लेकिन उन्हें अपनी परेशानी नहीं बताना है। परेशानी बताने से आपका दिमाग फिर से पुरानी चीजें सोचेगा।
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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