हाथी के गोबर से बने कागज के उदाहरणों से प्रेरित होकर राजस्थान के जयपुर के रहने वाले भीमराज शर्मा ने गाय के गोबर से कागज बनाने पर काम करना शुरू किया। उन्होंने इस रिसर्च से एक इनोवेशन को जन्म दिया है। भीमराज के इस इनोवेशन को लेकर किसी ने उन पर विश्वास नहीं किया। परिवार ने भी पहले उनका साथ नहीं दिया। उनकी बात सुनकर दोस्तों ने शुरू में उनका जमकर मजाक भी उड़ाया। बावजूद इसके भीमराज के इरादों को किसी ने नहीं तोड़ा। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। फिर उन्होंने आगे बढ़कर 30 लाख रुपये निवेश अपने रिसर्च पर किया, जो उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए बचाए थे |
फर्म गौकृति की शुरुआत की उन्होंने अपनी फर्म गौकृति की शुरुआत की। एक लंबे प्रयोग और शोध के बाद भीमराज शर्मा ने अपने गाय के गोबर के कागज को पेटेंट कराया और इसे पूरे भारत में बेचना शुरू कर एक इनोवेटिव बिजनेस को स्थापित किया।
भीमराज शर्मा की मेहनत और दृढ़ता रंग लाई और उनका गोबर का कागज विभिन्न शहरों में लोकप्रिय तो हुआ साथ ही अच्छा बिजनेस भी कर रहा है। आज शर्मा का दावा है कि उन्होंने अपने कारोबार के कागज के कारोबार से एक करोड़ रुपये तक की कमाई कर ली है। उनके इनोवेटिव अप्रोच ने न केवल गाय के गोबर के लिए एक स्थायी उपयोग का सृजन किया है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल कागज उत्पादन के लिए नए रास्ते भी खोले दिए हैं।