ISRO Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल का टेस्ट सक्सेसफुल रहा। इसे व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (Test Vehicle Abort Mission -1) के नाम से जाना जा रहा है। इस टेस्ट की सफलता के बाद इसरो ने 21 अक्टूबर 2023 को एक और उपलब्धि अपने नाम की है। गगनयान (टीवी-डी-1) टेस्ट मिशन: क्रू एस्केप मॉड्यूल की सफल लैंडिंग के बाद ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी है। इस खास उपलब्धि के लिए पूरा भारत जश्न मना रहा है, क्या आप जानते हैं कि मिशन गगनयान क्या है, और यह भारत के लिए क्यों इतना खास है?
Gaganyaan Mission के बारे में
ये मिशन भारत का पहला ह्यूमन स्पेस मिशन है। इसमें 3 सदस्यों का दल 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की ऑर्बिट में जाएंगे। इसके बाद क्रू मॉड्यूल सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड करेगा। यह भारत के लिए बेहद खास इसलिए भी है क्योंकि अगर यह सफल होता है तो अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश होगा। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने गगनयान मिशन की घोषणा की थी।
Test Vehicle Abort Mission -1 महत्वपूर्ण
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद गगनयान मिशन पर तेजी के साथ काम हो रहा है। इसके तहत गगनयान की पहली उड़ान 21 अक्टूबर 2023 को हुई। जिसकी सफलता पूरी दुनिया ने देखी। दो बार लॉन्च टेस्ट में रुकावट आने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और सभी खामियों को दूर करते हुए टेस्ट को सफल बनाया। खास बात ये है कि गगनयान मिशन के क्रू को सुरक्षित लैंड कराने में इस टेस्ट की अहम भूमिका होगी। इस टेस्ट की सफल लॉन्चिंग श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई है।
इसरो के मुताबिक गगनयान को लॉन्च करने के लिए जीएसएलवी एमके-III लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही इस परीक्षण में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम भी शामिल होंगे। ये दोनों आवाज की गति से ऊपर जाएंगे, फिर 17 किलोमीटर की ऊंचाई से एबॉर्ट सिक्वेंस का काम शुरू हो जाएगा। यहीं क्रू एस्केप सिस्टम डिप्लॉय होगा। क्रू मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुलेंगे । पैराशूट एस्ट्रोनॉट्स की सेफ लैंडिंग में सहायक होगा। ये क्रू मॉड्यूल की स्पीड को कम करने के साथ ही उसे स्थिर भी रखेगा।
मिशन गगनयान का बजट
मिशन गगनयान का लगभग बजट 10,000 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। इसरो का गगनयान मिशन के सफल होने से अंतरिक्ष में एक्पेरिमेंट्स के लिए कई रास्ते खुलेंगे। इससे भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में सहायता मिलेगी साथ ही सौर प्रणाली और उससे आगे के बारे में भी रिसर्च की जा सकेगी। इसरो ने अपने इस मिशन के लिए कई तरह की तकनीकें डेवलप की हैं। इसरों के अलावा गगनयान मिशन में इंडियन आर्म्ड फोर्स और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) भी काम कर रहा है।