दिहाड़ी मज़दूरी करते हुए पूरी की PhD डिग्री, मजबूत हौसलों से आगे बढ़ने वाली भारती की कहानी!

एक मशहूर लाइन है “अगर ठान लो तो जीत खुद आपके दरवाज़े पर दस्तक देने आती है” इसे सही साबित किया है आंध्र प्रदेश की एक महिला दिहाड़ी मजदूर ने। उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मजदूरी की और पढ़ाई भी पूरी की। ये कहानी आंध्रप्रदेश की रहने वाली साके भारती की जिन्होंने मजदूरी करते हुए अपनी पीएचडी पूरी की।

दिहाड़ी मज़दूर पाई PhD की डिग्री

जब कोई कहता है कि दिहाड़ी मज़दूर तो दिमाग में न चाहते हुए भी एक छवि आती है कि मैले-कुचैले कपड़े पहने हुए मेहनत-मज़दूरी करता हुआ कोई इंसान। आंध्र प्रदेश की एक महिला, साके भारती (Sake Bharathi) भी मजदूरी ही करती हैं लेकिन उन्होंने ये साबित कर दिया कि मज़दूरी करते हुए भी इंसान अपने सभी ख्वाब को पूरे करने की क्षमता रखता है। एक प्रतिष्ठित अखबार में छपे लेख के मुताबिक खेत में मज़ूदरी करने वाली भारती ने देशभर के लोगों के लिए मिसाल प्रस्तुत किया है। आंध्र प्रदेश के ज़िला अनंतपुर के नागुलागुद्दम गांव की साके ने केमिस्ट्री में पीएचडी की डिग्री पूरी की है।

संघर्षों से भरा रहा जीवन

भारती बेहद गरीब परिवार से संबंध रखती हैं। बचपन से आर्थिक तंगी का सामना करने वाली भारती का संघर्षों से नाता है। उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने की वजह से उनकी शादी कर दी गई। भारती की शादी के कुछ सालों बाद एक उनका बच्चा भी हो गया। परिवार बढ़ा लेकिन आमदनी नहीं बढ़ी इन सबके बावजूद भारती पढ़ना चाहती थीं। परिवार के साथ से उन्होंने एसएसबीएन डिग्री ऐंड पीजी कॉलेज, अनंतपुर से केमिस्ट्री में ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री ली। इस बीच वे मजदूरी करती रहीं ताकि परिवार पर बोझ न हो। वे पढ़ाई में काफी अच्छी थी यही वजह थी कि उन्हें श्री कृष्ण देव राय यूनिवर्सिटी में पीएचडी में दाखिला लेने के लिए शिक्षकों ने प्रोत्साहित किया।

पति खड़े रहे हमेशा साथ

भारती कहती हैं कि उनके पति शिव प्रसाद ने उसका पूरा साथ दिया इसीलिए वो आगे की पढ़ाई कर पाई। शिव प्रसाद ने ही भारती का पीएचडी में दाखिला करवाया और पढ़ाई पूरी करने में मदद की। भारती को केमिस्ट्री में ‘बाइनरी लिक्विड मिक्सचर्स’ में पीएचडी मिली है, आगे चलकर भारती कॉलेज प्रोफ़ेसर बनना चाहती है वो कहती है कि शिक्षा का मूल्य वो अच्छे से समझती हैं यही वजह है कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई पूरी की। भारती की कहानी हौसले की वो कहानी है जिसे आने वाली पीढ़ियों को भी सुनाई जाएंगी।  

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Rishita Diwan

Content Writer

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