कानपुर का एक युवा बना मिसाल, बच्चों की पढ़ाई में खर्च करता है अपनी कमाई का 80% हिस्सा!

कितने ही लोग होते हैं जो अपना जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर देते हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं महबूब मलिक, जो गरीब बच्चों की शिक्षा का आधार बन रहे हैं। महबूब कानपुर के रहने वाले हैं। महबूब पेशे से चायवाले हैं। वे चाय बेचकर अपना जीवन चलाते हैं। लेकिन वे अपनी कमाई का लगभग 80 फीसदी हिस्सा गरीब बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं।

 

ऐसे मिली प्रेरणा

महबूब का बचपन काफी गरीबी में ही बीता, एक समय था जब महबूब पढ़ना चाहते थे लेकिन गरीबी के चलते वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। यही वजह है कि वे शिक्षा के महत्व को जानते हैं। उन्होंने भले ही अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की हो लेकिन वे चाहते हैं कि हर गरीब किसी भी तरह से अपनी पढ़ाई पूरी करे। आज महबूब अपनी कमाई का 80% हिस्सा खर्च करके हजारों जरूरतमंद बच्चों को स्कूल से जोड़ने का नेक काम कर रहे हैं। 34 वर्षीय महबूब मलिक कानपुर में ही एक चाय की दुकान के साथ ‘माँ तुझे सलाम सोशल फाउंडेशन’ भी चलाते हैं, जो गरीब बच्चों की पढ़ाई की एक उम्मीद बन गई है।
 
इस काम की शुरुआत महबूब ने पहले अपने दुकान से की थी। वे अपनी दुकान पर ही चार बच्चों को पढ़ाया करते थे। धीरे-धीरे जब और लोग उनके पास आने लगे तब उन्होंने ‘माँ तुझे सलाम सोशल फाउंडेशन’ की शुरूआत की।
 

मजदूरी करने वाले बच्चों के हाथों में अब किताब

महबूब के आस-पास के बच्चे जो पहले मजदूरी करते थे अब वे शिक्षा से जुड़ रहे हैं। महबूब ने मजदूरी और किताब के बीच के अंतर को कम करने की ठानी समय के साथ बच्चों की संख्या और लोगों का साथ दोनों बढ़ने लगे। महबूब स्कूल की व्यवस्था करते हैं, अच्छी यूनिफार्म और स्टेशनरी भी मुहैया करवाने का काम करते हैं। साल 2017 तक वह अकेले ही इन बच्चों का खर्च उठा रहे थे लेकिन जब बच्चे उनसे जुड़ते गए तब और लोग भी महबूब से जुड़ते गए, आज उनकी संस्था से जुड़कर कई लोग गरीब बच्चों के जीवन को सुधारने का काम कर रहे हैं।
 

हजारों बच्चों को शिक्षा से जोड़ा शिक्षा

‘माँ तुझे सलाम सोशल फाउंडेशन’ के अंतर्गत 12 शिक्षक मिलकर दो प्राइमरी स्कूल चलाते हैं। जिसके ज़रिए शहर की झुग्गी-बस्ती में रहने वाले 1500 बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिल रही है। पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद महबूब मलिक सुनिश्चित करते हैं कि यह सारे बच्चे हाईस्कूल में जरूर एडमिशन लें। वे खुद बच्चों को नजदीकी निजी या सरकारी स्कूल में दाखिला करवाने का काम करते हैं। उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि आज यहां से पास हुए बच्चे 10वीं और 12वीं में अच्छे नंबर से पास हो रहे हैं और भविष्य में डॉक्टर और इंजीनियर बनने के सपना देख रहे हैं। मोहम्मद महबूब मलिक की कहानी ये बताती है कि एक छोटी सी कोशिश कैसे जिंदगियां बदलती है, अंधेरे से रौशनी की ओर ले जाती है।
 
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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