Inspiration: भारत की पहली महिला कोल अंडरग्राउंड माइन इंजीनियर, आसान नहीं था सफर!

Akanksha Kumari: क्या आपने कभी कोल माइंस में किसी को काम करते देखा है। अगर देखा होगा तो आपको जरूर पता होगा कि ये काम कितना जोखिम और खतरों से भरा मेहनत वाला काम होता है। यहां पर अंडरग्राउंड खदानों में काम करना कितना रिस्क भरा होता है। आमतौर पर लोग कोयला खदानों के भीतर जाने से डरते हैं। कोल माइन इंजीनियर हों या इस क्षेत्र में कोई और पद, अभी तक सिर्फ पुरुषों का ही वर्चस्व यहां रहा है, लेकिन अब एक महिला ने इस धारणा को तोड़ दिया है। 

झारखंड की रहनेवाली आकांक्षा कुमारी देश की पहली कोल अंडरग्राउंड माइन इंजीनियर बन गई हैं। वे एक ऐसी महिला हैं, जिन्हें दुनिया की सबसे बड़ी खानों में से एक- कोल इंडिया की सब्सिडियरी सेंट्रल कोल फील्ड्स में अंडरग्राउंड कोल माइन इंजीनियर के रूप में पद मिला है। वे सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड (CCL) के नॉर्थ कल्याणपुर एरिया स्थित ‘चुरी भूमिगत खदान’ में अपनी सेवाएं दे रही हैं। 

क्या करती हैं अकांक्षा? 

अकांक्षा का काम पिलर डिज़ाइन, स्टेबिलिटी परखने का है। अकांक्षा ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उनका बचपन हजारीबाग के कोलफील्ड्स में बीता। ऐसे में कोयला खदानों की ओर स्वाभाविक रूप से उनमें दिलचस्पी पैदा हो गई। मन को उनके यही ख्याल रहता था कि इन खदानों के भीतर क्या होता होगा और यही जिज्ञासा उन्हें यहां तक ले आई।

पिता ने दिया साथ बेटी का बढ़ा आत्मविश्वास

कोल माइन इंजीनियर आकांक्षा के पिता उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। उन्होंने जब अपनी रूचि के बारे में अपने पिता से बात की तो पिता ने कोल माइंस में काम करने वाले कुछ मित्रों से सलाह ली और अकांक्षा को गाइड किया। सभी ये बात कहते थे कि लड़कियों के लिए ये काम और फील्ड दोनों नहीं है लेकिन बावजूद उसके पिता के साथ से अकांक्षा आगे बढ़ी। 

आकांक्षा ने बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी यानी बीआईटी सिंदरी (धनबाद) से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। साल 2018 में उनका उदयपुर स्थित हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में कैंपस चयन हुआ। यहां दो साल तक काम करने के बाद उन्होंने बतौर माइन इंजीनियर ड्रिलिंग सेक्शन की जिम्मेदारी बखूबी निभाई और फिर उन्होंने कोल इंडिया की सब्सिडियरी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड यानी CCL के लिए आवेदन कर दिया।  

अंडरग्राउंड कोल माइन इंजीनियर पद पर तैनात पहली महिला 

CCL में भी माइन इंजीनियर के पद पर आकांक्षा का चयन हुआ सबसे खास बात ये है कि उन्हें अंडरग्राउंड माइन में तैनाती मिल गई जो आज तक किसी भी महिला को नहीं मिली थी। इससे पहले उन्हें द माइन्स रेस्क्यू रूल्स-1985 के अनुसार, माइन्स रेस्क्यू एंड रिकवरी वर्क की ट्रेनिंग करनी पड़ी। 

केंद्र सरकार लगातार महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने का काम कर रही है जिसका फायदा आकांक्षा को मिला। सीसीएल को भी अपनी इस कोल माइन इंजीनियर की उपलब्धि पर काफी गर्व है। अकांक्षा ने जो चाहा उसके लिए मेहनत किया बगैर ये सोचे कि उन्हें रास्ते कैसे मिलेंगे। उन्होंने ये साबित किया कि सपने सच होते हैं देखने और पूरा करने का हौसला होना चाहिए। आज अकांक्षा की काबिलियत पूरी दुनिया देख रही है और आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा दे रही है।

SP LOGO

Rishita Diwan

Content Writer

CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.
CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.