Positivity पर Southampton University का रिसर्च, जानें टॉप लीडर्स कैसे करते हैं विपरित परिस्थितियों में डील!


Positivity दिन की शुरूआत के लिए सबसे जरूरी चीज है। इस बात का संबंध है Southampton University की एक रिसर्च पर जो कहती है, कि हमारे दिल और दिमाग के लिए पॉजिटिविटी का डोज बेहद जरूरी है, क्योंकि इनसे खुशियां भी मिलती है और मुश्किल समय में जीने की उम्मीद भी बढ़ जाती है। पॉजिटिविटी का कनेक्शन सेहत से जुड़ा है, इसलिए जरूरी है कि सकारात्मकता से दिन की शुरूआत हो। आमतौर पर ये धारणा होती है कि तनाव या किसी बड़े काम को संभालने के माहौल में कई बार वैचारिक मतभेद आम होते हैं, लेकिन क्या इसका असर हमारे काम पर पड़ना चाहिए। Positivity के इस लेख के जरिए हम आपको आज ये बता रहे हैं कि कैसे बड़े लीडर्स हर स्थिति में सकारात्मक रहकर काम करते हैं।

हर माहौल में सकारात्मक रहना किसी कला और साधना की तरह है। ये वो गुण है जिससे अपने आस-पास के माहौल में अकेले ही हर स्थिति में सकारात्मक एनर्जी से निपटा जा सकता है।  किसी भी अच्छे संस्थान को ऐसे लीडर्स और कर्मचारियों की जरूरत होती है जो पूरी डिप्लोमेसी के साथ प्रोडक्टिव बातचीत करने की कला में माहिर हों, फिर चाहे विचारों में कितना ही मतभेद क्यों ना हो। अगर वैचारिक मतभेद के दौरान किसी बात पर अपनी असहमति जताना चाहते हैं, तो उसके लिए ये तरीके अपना सकते हैं…


खुद भी जानें और लोगों को भी बताएं क्या है पॉवर ऑफ पॉजीटिविटी

एक अच्छा टीम लीडर हर किसी के विचारों का सम्मान करता है। ‘अपने विचार व्यक्त करने के लिए बहुत धन्यवाद।’, ऐसा कहकर एक अच्छा लीडर उन्हें सम्मानित करता है। ऐसा कर सामने वाले को यह संदेश जाता है कि उनका नजरिया आपके लिए महत्वपूर्ण है, साथ ही यह सामने वाले पर लीडर के भरोसे को भी दिखाता है, फिर चाहे मन ही मन उससे किसी तरह की असहमति क्यों ही न हो। धन्यवाद कहने से व्यक्ति खास महसूस करता है। इस तरह आप आगे संवाद के लिए रास्ता खोलना आसान हो जाता है। ऐसा व्यवहार सही प्रतिक्रिया देता है।

विनम्रता अपनाएं

किसी भी बात को कहने से पहले शब्दों का सही चयन जरुर करें। नाराजगी या असहमति जाहिर करने के लिए जब विनम्रता भरे शब्द स्थिति को सुधार सकते हैं। जबकि कड़वें शब्दों का इस्तेमाल कर मौके को हाथ से निकल जाने देना बेवकूफी है। जो वाक्य सुनने में कट्टर लगें उनसे एहतियात रखें।


बहस के दौरान अपनाएं सकारात्मक रवैया

वैचारिक मतभेद बढ़ने से माहौल खराब हो सकता है। इसलिए किसी बहस के दौरान भी सकारात्मक रहनी जरूरी होता है। बॉडी लैंग्वेज से ये नहीं जाहिर होना चाहिए कि किसी को अपमानित कर रहे हैं। व्यवहार से ये झलकना चाहिए कि आप सामने वाले के विचारों का सम्मान करते हैं।


मोरल वैल्यूज को न भूलें

किसी भी बहस में केवल आपसी असहमति वाले मुद्दे पर फोकस करना बेहद आसान होता है। इस दौरान चाहे लोग पूरे जुनून के साथ अपनी असहमति जताते रहें पर उनमें कुछ तो ऐसी मान्यताएं या कुछ ऐसे संस्कार होते ही हैं जो सभी में एक जैसे होते हैं। उन मान्यताओं को और उनके विश्वास को सबके सामने लेकर आने से आपस की दूरियां काफी हद तक कम हो सकती हैं।

ये लेख मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। अगर आपको पॉजिटिविटी (Positivity) पसंद आए तो आप हमसे ईमेल के जरिए जुड़कर अपना फीडबैक भी दे सकते हैं। विभिन्न सोशल मीडिया पर भी आप हमसे जुड़ सकते हैं।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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